मिटाबे नईं, परन्त पूरो करबे आओ हों; कायसे मैं तुम से सांची कहत हों, कि जब लौ आकास और धरती टर न जाएं, तौ लौ व्यवस्था में से एकऊ चिन्न नईं टल है, जब लौ की सबई कछु पूरो न हो जाबै।
का तुम नईं जानत, जीकौ हुकम मानबे हां तुम अपने आप हां चाकर घांई सौंप देत आव, ओई के चाकर आव: और जी की मानत आव, चाए पाप के, जीसे मौत मिलत आय, चाए हुकम मानबे से, जीकौ अन्त धार्मिकता आय।
हमाए पिरभु यीशु मसीह के द्वारा परमेसुर कौ धन्नबाद होबै: ई लाने मैं आपनी बुद्धि समज से तो परमेसुर की नैम व्यवस्था कौ, पर देयां से पाप अधर्म की नेम व्यवस्था कौ पालन करत आंव।
कायसे हम पेंला, मूरख और परमेसुर की अग्या न मानबेवाले, और दुबधा में हते, और भांत भांत की चाहना करत हते, और मजा मौज चाहत हते और अदावट धरें हते, और दूसरन को बुरओ सोचत हते, और बहुत घिना हते और दूसरन से बैर मानें हते।