चट्टान पे के बे आंय, कि जब सुनत आंय, तो खुसी से बचन हां अपना तो लेत आंय, पर जड़ न पकड़बे से बे तनक देर हां बिसवास रखत आंय, पर जांच परख की बेरा डगमगा जात आंय।
ऊ ने रात में यीशु के ऐंगर आके कई, हे गुरू, हम जानत आंय, कि तें परमेसुर की कोद से आओ भओ गुरू आय; कायसे इन चिन्ह हां जौन तें दिखात आय, कोऊ नईं दरसा सकत, जब लौ परमेसुर ऊके संग्गै नईं होबै।
ई लाने फरीसी कैन लगे; जौ मान्स परमेसुर की कोद से नईं आय, कायसे बो सब्त कौ दिना नईं मानत। दूसरे कैन लगे, पापी जन ऐसे चिन्ह हां कैसे दिखा सकत आय? और उन में फूट पड़ गई।