28 तब यीशु ने मन्दर में सीख देत भय जोर देके कई, तुम मोय जानत आव और जौ भी जानत हों, कि मैं किते कौआंव: मैं अपने से नईं आओ परन्त जीने मोय पठैव बो सांचो आय, जीहां तुम नईं चीनत।
तब यीशु ने भीड़ से कई; का तुम तलवारें और लठियां लए मोय डाकू के समान पकड़बे आए आव? मैं रोजीना मन्दर में बैठ के सन्देसो दओ करत हतो, और तुम ने मोय नईं पकड़ो।
मोरे बाप ने मोय सब कछु दे दओ आय और कोऊ नईं जानत पूत को आय पर बाप जानत आय और बाप को आय कोऊ नई जानत, बस पूत जानत आय, और बो जीपे पूत ऊहां पांछू उजागर करो चाए।
का तें भरोसा नईं करत, कि मैं बाप में आंव और बाप मोय में आय? जौन बातें मैं तुम से कहत आंव, बो अपनी कोद से नईं कहत, परन्त बाप जौन मोय में रहत आय, ओई अपनो काज करत आय।
ऊ ने रात में यीशु के ऐंगर आके कई, हे गुरू, हम जानत आंय, कि तें परमेसुर की कोद से आओ भओ गुरू आय; कायसे इन चिन्ह हां जौन तें दिखात आय, कोऊ नईं दरसा सकत, जब लौ परमेसुर ऊके संग्गै नईं होबै।
यीशु ने उन से कई; जदि अपनी गवाही मैं खुद देत आंव, तौभी मोरी गवाही ठीक आय, कायसे मैं जानत आंव, कि मैं किते से आओ हों और किते जा रओ आंव? परन्त तुम नईं जानत कि मैं किते से आओ या किते जात आंव।
यीशु ने उन से कई; जदि परमेसुर तुमाओ बाप होतो, तो तुम मोसे प्रेम रखते; कायसे मैं परमेसुर से कड़ के आओ हों; मैं अपनी मनसा से नईं आओ, परन्त ओई ने मोय पठैव आय।
कायसे जब मैं घूमत फिरत तुमाए पूजबे की चीजन को हेर रओ हतो, तो मोहां एक वेदी मिली, जीपे लिखो हतो, “अनजाने ईश्वर के लाने”। ई लाने जीहां तुम बिना जाने पूजत आव, ओई कौ सन्देसो मैं तुम हां सुनात आंव।