60 ई लाने ऊके चेलन में से बिलात ने जब जा सुनी तो कई, जा तो कठिन बात आय; ईहां कौन सुन सकत आय?
और धन्य आय बो, जौन मोरे काजें ठोकर न खाबै।
यीशु और ऊके चेले सोई ब्याव के बुलौआ में आए हते।
मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, बो बेरा आ रई आय, और अबै आय, जब मरे भए लोग परमेसुर के पूत कौ बोल सुन हैं, और जौन सुन हैं बे जी जै हैं।
ईपे यहूदी आपस में जौ कहके बतकाव करन लगे, जौ मान्स हम हां अपनो मांस खाबै हां कैसे दे सकत आय?
पर तुम में से कछु आंय जो भरोसा नईं करत। कायसे यीशु पेंला से जानत हतो कि भरोसा नईं करबेवाले को आंय, और बे को आंय? और कौन मोय पकड़वा है।
ई काजें ऊके चेलन में से बिलात लौट गए, और फिन ऊके संग्गै नईं चले।
ई लाने ऊके भाईयों ने ऊसे कई, इते से निंग के यहूदिया में चलो जा, कि तोरे चेले भी उन कामन हां हेर सकें जिन हां तें करत आय।
तब यीशु ने उन यहूदियन से जिन ने ऊ पे भरोसा करो हतो, कहन लगे, जदि तुम मोरे कहबे जैसो कर हौ, तो सांची में मोरे चेले कहा हौ।
जौन मैं कह रओ आंव ऊहां तुम काय नईं समझत? ई लाने कि तुम मोरो बचन नईं सुन सकत।
ईके लाने और बहुत कछु कहो जा सकत आय, जीहां हम अबै नईं समझ सकत; कायसे तुम अब तनक ऊं चो सुनन लगे आओ।
ऊ ने अपनी सबरी चिठियन में सोई इन बातन कौ बयान करो आय उन में कछु बातें ऐसी आंय, जिन कौ समजबौ कठन आय, मूरख और चंचल मान्स उन के मतलब को पवित्तर पोथी की और बातन की भांत ऐंचतान के अपने ई नास कौ काज बनात आंय।