58 जो रोटी सरग से उतरी बा जाई आय, पुरखन जैसीनईं कि खाई और मर गए। ई रोटी हां जो खै है बो सदा लौ जीयत रै है।
और हरएक जौन जीयत आय, और मोय पे भरोसा करत आय, कभऊं नईं मर है, का तें ई बात पे भरोसा करत आय?
जौन पूत पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ओई कौ आय; वरन बो जौन पूत की नईं मानत, ऊहां जीवन नईं मिल है, परन्त परमेसुर को कोप ऊ पे बनो रहत आय।
मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, जौन मोरो बचन सुनके मोरे पठैबेवाले पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ऊ को आय, और ऊ पे दण्ड कौ हुकुम नईं हुईये, परन्त बो मृत्यु से पार होकें जीवन में पिड़ चुको आय।
ई लाने यहूदी ऊ पे कुड़कुड़ान लगे, कायसे ऊ ने कई; जो रोटी सरग से उतरी आय, बो मैं आंव।