मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, जौन मोरो बचन सुनके मोरे पठैबेवाले पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ऊ को आय, और ऊ पे दण्ड कौ हुकुम नईं हुईये, परन्त बो मृत्यु से पार होकें जीवन में पिड़ चुको आय।
ऊ रोटी के लाने मेहनत नईं करो जौन नास हो जात आय, परन्त ऊ रोटी के लाने जौन अनन्त जीवन लौ बनी रहत आय, जीहां मान्स कौ पूत तुम हां दै है, कायसे बाप यानि परमेसुर ने ओई पे अपनी छाप लगाई आय।
जीवन की रोटी जौन सरग से उतरी बो मैं आंव। जो कोऊ ई रोटी में से खा है, तो बो सदा लौ जीयत रै है, और जौन रोटी मैं जगत के जीवन के लाने दै हों, बो मोरो मांस आय।