और नगर के बायरें ऊ रस कुण्ड में दाखें कुचली गईं, और रस के कुण्ड में से इतनो रकत निकलो, कि नदिया घाईं सौ कोस लौ बहो, और इतनो गैरो हतो कि ठांड़े घुड़वन की लगाम लौ पहुंचो।
और ऊ नगर चारई तरपे एक सौ हतो और ऊ की लम्बाई चौड़ाई बरोबर हती, और ऊ ने गज से नगर हां नापो, तो साड़े सात सौ कोस कड़ो: ऊ की लम्बाई, चौड़ाई, और ऊंचाई बरोबर हती।