17 और नाव पे चढ़बे के पाछें बे कफरनहूम हां जाबे के लाने झील पार करन लगे, अंधयारो हो गओ हतो, और यीशु अबै लौ उन के ऐंगर नईं आओ हतो।
तब ऊ ने तुरतईं अपने चेलन हां बिवश होकें नाव पै चढ़ाओ, कि बे ऊसे पेंला ऊ पार बैतसैदा हां चले जाबें, जब लौ ऊ लोगन हां विदा करे।
ईके बाद यीशु और ऊ की मताई, ऊके भईया और ऊके चेले कफरनहूम गए और उते कछु दिना रए।
तब बो गलील के काना में आओ, जिते ऊ ने पानू हां दाखरस बना दओ हतो, उतईं राजा कौ एक चाकर हतो जीको पूत कफरनहूम में बीमार हतो।
तेज आंधी चलबे से झील में लहरें उठन लगीं।
ऊ ने जे बातें ऊ बेरा कईं, जब बो कफरनहूम के एक प्रार्थनाघर में सीख दे रओ हतो।