1 इन बातन के पाछें यीशु गलील की झील तिबिरियास के ऊ पार चलो गओ।
यीशु उते से निंग के, गलील की झील के तीरे गओ, और उते पहरवा पे चढ़के बैठ गओ।
ऊ ने गलील की झील के किनारे निंगत भए ऊने दो भईयन हां शमौन जो पतरस कहाऊ त हतो, और ऊके भईया अन्द्रियास हां झील में जाल डारत तको; कायसे बे ढीमर हते।
जब भीड़ यीशु पे गिरी पड़त हती, और परमेसुर कौ बचन सुनत हती, और बो गन्नेसरत की झील के कगारें ठांड़ो हतो, तब ऐसो भओ।
इन बातन के पाछें यीशु ने तिबिरियास झील के तीरे फिनअपने आप हां चेलन पे दरसाव और ई तरहां दरसाव।
(तबई तिबिरियास से ऊ जांगह के ऐंगर दूसरी नावें आईं, जिते उन ने प्रभु के धन्यवाद देबे के पाछें रोटी खाई हती)।
इन बातन के पाछें यीशु गलील में फिरत रओ, बो यहूदिया में नईं जाओ चाहत हतो, कायसे यहूदी ऊहां मार डालबे की खोज में हते।
तौ बे ऊसे पूछन लगे, तोरी आंखें कैसे खुल गईं?
और किन्नेरेत नाओं समंदर सें लैकें बेत्यशीमोत सें होकें अराबा के समंदर लौ; जौन खारो समंदर सोई कहात आय, पूरब कोद अराबा, और दक्खिन कोद पिसगा की ढलान के खालें-खालें के देस पै अधकार रखत हतो।