और हर एक जीने मोरे नाओं के लाने घरद्वार या भईयन या बहन या बाप मताई या बच्चन या खेतन हां छोड़ दओ आय, ऊहां सौ गुना मिल है: और बो अनन्त जीवन कौ अधकारी हुईये।
पर जो कोनऊं ऊ पानू में से पी है, जौन मैं ऊहां दै हों, बौ कभऊं प्यासो नईं हुईये, कायसे बो पानू ऐसो दैहों, ऊ में सदा लौ जीबे के लाने उमड़बे वालो पानू कौ सोता बन जै है।
मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, जौन मोरो बचन सुनके मोरे पठैबेवाले पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ऊ को आय, और ऊ पे दण्ड कौ हुकुम नईं हुईये, परन्त बो मृत्यु से पार होकें जीवन में पिड़ चुको आय।
हे भईया हरौ, मैं नईं चाहत, कि तुम ई बात से अनजान रओ, कि मैंने तुम लौ बेर बेर आबो चाहो, कि जैसो मोय दूसरी जातवारन में फल मिलो, ऊं सई तुम में सोई मिले, पर अबै लौ रुको रओ।
कायसे ऊकौ दूसरो छोर तो मौत आय, परन्त अब पाप से स्वतन्त्र होकें और परमेसुर के चाकर बन के तुम हां फल मिलो जीसे पवित्रता मिलत आय, और ऊके दूसरे छोर पै अनन्त जीवन आय।
सो मोरी मजूरी कौन सी आय? जौ कि भलो सन्देसो सुनाबे में मैं मसीह कौ भलो सन्देसो सेंत मेंत कर दों; इते लौ कि भले सन्देसे में मोरो जौन अधकार आय, ऊ को मैं सबई भांत से काम में लाओं।