यीशु ने उन से कई, मैं तुम से सांची कहत आंव, कि नई रचना से जब मान्स कौ पूत अपनी मईमा के सिंहासन पर बैठ है, तो तुम भी जो मोरे पाछें हो लए आव, बारह सिंहासनों पे बैठ के इस्राएल के बारह गोत्रन कौ न्याव कर हौ।
मैं तोसे सांची सांची कहत आंव, जब तें जुआन हतो, तो अपनी करयाई बांध के जिते चाहत हतो, उते फिरत हतो; पर जब तें बूढ़ो हुईये, तो अपने हाथ लम्बे कर है, और कोऊ दूसरो तोरी करयाई बांध है और जिते तें नईं चाहे उते तोय ले जै है।
मोरे मन की जा चाहना आय, कि मैं कभऊं नेंचो न हेरों, परन्त हिम्मत धरों कि पिरभू की बड़ाई मोरी देह से होत रैबे, जैसो अबै होत आय, चाहे मैं जीओं और चाहे मर जाओं।