तो ऊ चाकर कौ मालक ऐसे दिना जीकी ऊ सोचत लौ न होय, और ऐसी बेरा जिए बो जानत न हो आ है, और कुल्ल दांड़ देकें ऊकौ हींसा बिसवास न करबेवारन के संग्गै ठैरा है।
सो अब हे लांछन लगाबेवारे, तें कोनऊ काय न होबै; तो लौ कछु उत्तर नईयां! कायसे जौन बात में तें दूसरन पे लांछन लगात आय, ओई बात में अपने हां भी दोषी ठहरात आय, कायसे जैसो लांछन तें लगात आय, तें सोई ऊंसई काम करत आय।