मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, जौन मोरो बचन सुनके मोरे पठैबेवाले पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ऊ को आय, और ऊ पे दण्ड कौ हुकुम नईं हुईये, परन्त बो मृत्यु से पार होकें जीवन में पिड़ चुको आय।
तब यीशु ने मन्दर में सीख देत भय जोर देके कई, तुम मोय जानत आव और जौ भी जानत हों, कि मैं किते कौआंव: मैं अपने से नईं आओ परन्त जीने मोय पठैव बो सांचो आय, जीहां तुम नईं चीनत।