का तें भरोसा नईं करत, कि मैं बाप में आंव और बाप मोय में आय? जौन बातें मैं तुम से कहत आंव, बो अपनी कोद से नईं कहत, परन्त बाप जौन मोय में रहत आय, ओई अपनो काज करत आय।
पर जो कोनऊं ऊ पानू में से पी है, जौन मैं ऊहां दै हों, बौ कभऊं प्यासो नईं हुईये, कायसे बो पानू ऐसो दैहों, ऊ में सदा लौ जीबे के लाने उमड़बे वालो पानू कौ सोता बन जै है।
मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, जौन मोरो बचन सुनके मोरे पठैबेवाले पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ऊ को आय, और ऊ पे दण्ड कौ हुकुम नईं हुईये, परन्त बो मृत्यु से पार होकें जीवन में पिड़ चुको आय।