10 परन्त कोऊ रात हां निंगे, तो ठोकर खात आय, कायसे ऊ में ज्योत नईंयां।
फिन भी अपने मन में गहरी जड़ नईं धरत और तनक बेरा कौ आय, और जब बचन के लाने दुख सताव होत आय, तो तुरतईं ठोकर खात आय।
ऐसो कै के पाछें, ऊ उन से कहन लगो, हमाओ संग्गी लाजर सो गओ आय, परन्त मैं ऊहां जगाबे जात आंव।
यीशु ने उन से कई, का दिन के बारह धण्टे नईं होत? जदि कोऊ दिन में निंगे, तो बो ठोकर नईं खात कायसे बो ई जगत की ज्योत हां तकत आय।