51 ऊ ने फिन कई, मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, कि तुम सरग हां खुलो भओ, और परमेसुर के सरगदूतन हां मान्स के पूत के संग्गै, खालें आत और ऊ परे चढ़त हेर हौ।
मान्स के पूत हां तो जैसो ऊके लाने लिखो गओ है, जातई है; पर हाय ऊपै, जी के द्वारा मान्स कौ पूत पकड़वाओ जै है: ऊ मान्स के लाने भलो होतो, कि ऊ को जन्म नईं होतो।
मैं तुम से सांची सांची कहत आंव, कि जौन मोय में भरोसा करत आय, बे काज जौन मैं करत आंव बो भी कर है, और ईसे भी बड़े काज कर है, कायसे मैं बाप के ऐंगर जात आंव।
मैं तोसे सांची सांची कहत आंव, जब तें जुआन हतो, तो अपनी करयाई बांध के जिते चाहत हतो, उते फिरत हतो; पर जब तें बूढ़ो हुईये, तो अपने हाथ लम्बे कर है, और कोऊ दूसरो तोरी करयाई बांध है और जिते तें नईं चाहे उते तोय ले जै है।
ई लाने यीशु ने उन से कई, मैं तुम से सांची सांची कैत हों, कि पूत खुद कछु नईं कर सकत, केवल ओई जौन बो बाप हां करत हेरत आय, कायसे जौन कछु बाप करत आय, उनई कामन हां पूत भी ओई रीत से करत आय।
धरम को भेद बड़ो आय ईको ध्यान धरियो; बो सरीर में होकें संसार में आओ जा बात आत्मा ने बताई, और सरगदूतन ने संसार मैं ईको परचार करो, मान्सन ने ऊ पै बिसवास करो और बो सरग पै उठा लओ गओ।
ईके पाछें मैंने तको कि सरग में एक द्वार खुलो आय; और जीहां मैंने पेंला अपने संग्गै बात करत सुनो हतो, जी की बोली मानो तुरही जैसी हती, ओई कैत हतो कि इते ऊ परै आ जाओ: और मैं तोहां बे बातें दिखा हों, जिनको इन बातन के बाद पूरो होबो जरुरी आय।