14 और जौ नईं जानत किकल का हुईये; तनक सुन लईयो, तुमाओ जीवन हैई का? तुम तो पानू की भाप जैसे आव, जौन तनक देर हां दिखात आय, फिन गायब हो जात आय।
और धनवारो अपनी ओछी दसा पे: कायसे बो घांस के फूल की भांत जात रै है।
सबरे प्रानी घांस घांई आंय, और ऊ की सबरी सुन्दरता घांस के फूल घांई आय: घांस सूख जात और फूल झड़ जात आय।
सबरी बातन को अखीर तुरतईं होबेवारो आय; ई लाने संयमी होकें बिन्तवाई के लाने हुसयार रओ।
संसार और ई संसार की अभलाखा इतई मिट जै है, परन्त जौन परमेसुर की कई करत आय, बो हमेसा बनो रै है।