18 परन्त कोई जनो जौ कै सकत आय कि तुमाए ऐंगर बिसवास आय, मोरे ऐंगर करम आय, तें अपनो बिसवास मोय करम बिना दिखा; मैं अपनो बिसवास अपने करमों के द्वारा तोहां दिखा हों।
और जदि मैं अगमवानी कर सकों, और सब भेदों और ज्ञान को समजों, और मोय इते लौ पक्को बिसवास होबे, कि मैं पहारवन हां हटा देओं, परन्त प्रेम न धरों, तो मैं कछु लौ नईंयां।