का तुम हां पता नईंयां, कि जौन न्याव बिलोरत आंय बे परमेसुर के राज में न जा पा हैं? ई धोखे में न रईयो, न बेश्या से संगतवारे, न मूर्ती पूजा करबेवारे, न दूसरे की तिरिया से संगत करबेवारे, न लुच्चे, न लुगुवा लुगुवा से संगत करबेवारे।
कायसे हम पेंला, मूरख और परमेसुर की अग्या न मानबेवाले, और दुबधा में हते, और भांत भांत की चाहना करत हते, और मजा मौज चाहत हते और अदावट धरें हते, और दूसरन को बुरओ सोचत हते, और बहुत घिना हते और दूसरन से बैर मानें हते।
हे भईया हरौ, एक दूजे पे दोस न मढ़ो, जौन अपने भाईया की बदनामी करत आय, ऊ भाई पे दोष मढ़त आय, बो कानून धरम पे दोस लगात आय; और जदि तें कानून धरम पे दोस लगात आय, तो तें कानून धरम पे चलबेवारो नईंयां, पर ऊ पे हाकम ठैरो।
अपने अधरम कौ फल उनईं हां मिल है, उन हां दिन दुपारी सुख विलास करबो साजो लगत आय; बे कलंक और दागी आंय, जब बे तुमाए संग्गै खात पियत आंय, तब अपनी कुदाऊं से प्रेम भोज करके भोग विलास करत आंय।