सो हम परमेसुर को धन्न मानत आंय; कि जब परमेसुर की बातें तुम ने सुनीं, तो तुम ने ऊहां मान्सन की नईं, परन्त परमेसुर की बातें लेखी (जा सांची आय) और अब तुमाए जीवन में दिखात आय।
ई लाने जब इतने सबरे जनों की गवाह हम जानत आंय, तो अब सबरी रोकबेवारी बस्तन और उलझाबेवारे पाप और बुरई बातन हां छोड़ के, जैसी दौड़ हम हां दौड़ने आय ऊहां संभल के दौड़ें।
तो हम ऐसे अच्छे तरन तारन के रस्ता हां जानके कैसे बचे जात आंय? पिरभू ने पेंला ईहां हमें बताओ, और जिन ने जो बचन सुनो और मानो ईसे हमें पक्को हो गओ कि जौ सांचो आय।