सो जब बईयर ने हेरो कि ऊ पेड़ कौ फल खाबे में नोंनो, और हेरबे में मन हों भाबेवारो, और बुद्धि दैबे के लाने सोई बढ़िया आय; तब ऊने ऊहों तोड़कें खा लओ, और अपने घरवारे हों भी दओ, और ऊने सोई खाओ।
ईपै यहोवा परमेसुर ने सुख दैबेवारी सुगन्ध पाकें सोचो, “कि मान्स के कारन मैं फिन कभऊं धरती हों स्राप नें दैहों, जबकि मान्स के मन में बचपन सें जो कछु पैदा होत आय ऊ बुरओ ही होत आय; तब भी जैसो मैंने सबरे जीवों हों अब मारो आय, बैसो उनहों फिन कभऊं नें मारहों।
तो का बो जौन साजी हती, मोरे लाने मौत ठैरी? कभऊं नईं! परन्त पाप ऊ साजी बस्त से मोरे लाने मौत हां पैदा करबेवारो भओ, कि ऊकौ पाप होबो उजागर होबे, और हुकम के द्वारा पाप कुल्ल पापवारो ठैरे।
जब कोनऊं की परीक्षा होबै, तो बो जौ न कैबे, कि ऊ की परीक्षा परमेसुर कुदाऊं से हो रई आय; कायसे न तो बुरई बातन से परमेसुर की परख हो सकत आय, और न बो कोनऊं की परख खुद करत आय।