11 कायसे सूरज ऊ गतई कड़ो घाम पड़त आय और घांस हां सुखा देत आय, और ऊकौ फूल झड़ जात आय, और ऊ की सुन्दरता जात रैत आय; ओई भांत धनवालो सोई अपनी गैल पे निंगत निंगत धूला में मिल जै है।
ई लाने जब परमेसुर हार की घांस हां, जौन आज आय, और कल भटिया में झोंक दई जै है, ऐसो उन्ना पैरात आय, तो हे कम भरोसा करबेवारो, तो बो तुम हां काय न पैहरा है?