3 और परदा के पछाऊं हती परम पवित्तर जांगा।
और तको मन्दर कौ परदा ऊपरै से खालें लौ फटके दो टूंका हो गओ: धरती डोलन लगी और चट्टानें भी तड़क गईं।
ओई आस पे हम कर्रे के बिसवास धरें आय, कायसे बा आस अबै मानो परदा के पांछे होबे।
परन्त आगेवारी जांगा में याजक बरस भर में एक बेर रकत लेके जात हतो, कि मान्सन की भूल चूक के काजें बलदान करें।
इन बातन से पवित्तर आत्मा ऐसो कैत आय, कि जब लौ पेंलावारो तम्बू मैं ध्यान मनन होत हतो, जब लौ पवित्तर जांगा को रास्ता सबरन हां नईं पता चलो।