3 सो परमेसुर की मरजी जैसो अपने आगे बढत जाबें।
पर विदा होत बेरा ऊ ने जा कई, अगर परमेसुर की मनसा भई तो तुमाए ऐंगर फिन कें आहों।
और मैं परमेसुर की मन्सा से तुमाए ऐंगर खुसी से आके सान्ति पाओं।
कायसे मैं अब गैल में तुम से नईं मिलो चाहत; परन्त मोय आसा आय, कि जदि पिरभु चाए, तो कछु बेरा लौ तुमाए संग्गै रै हों।
परन्त जदि पिरभु की मन्सा भई तो मैं तुमाए ऐंगर जल्दी आ हों, और घमंडियों की बातन को नईं, परन्त उन की बल सकती कौ पता कर लै हों।
कायसे जीने परमेसुर की जोत पाई, और जिन हां परमेसुर ने बरदान दए और जिन ने पवित्तर आत्मा पाओ।
पर तुम हां कओ चाईये, जदि पिरभु चाए तो हम जीयत रै हैं, और जौ काम सोई कर है।