18 परमेसुर ने कौन के लाने कई, कि बे ऊ देस में न जा पै हैं; उनईं से जिन ने उनकी कई नईं करी?
जौन पूत पे भरोसा करत आय, अनन्त जीवन ओई कौ आय; वरन बो जौन पूत की नईं मानत, ऊहां जीवन नईं मिल है, परन्त परमेसुर को कोप ऊ पे बनो रहत आय।
कायसे जैसे तुम ने पेंला परमेसुर कौ हुकम न मानो पर अबै ऊ को हुकम न मानबे से तुम पे दया भई आय।
और परमेसुर ने गुनसिया के कई, कि तुम मोरे आराम की जांगा में न जा पाहौ।
हम हां ऊ विश्राम में जैबे की कोसस करने आय, कहूं ऐसो न होबै, कि हम उनकी कई न करके उते न पहुंच पाबें।
हम हां सोई जेई बातें बताई हतीं, परन्त उनहां जौन बातें सुनाईं, उनसे उन ने कछु बिसवास नईं धरो।
ऐसो सोई कहो आय, कि जिन ने परचार की बातन को नईं मानो बे मोरी जांगा न जै हैं।