3 और एक सौ पचास दिना के बाद पानूं पृथ्वी पै सें लगातार घटन लगो।
जब नूह की उमर के छै सौ साल के दूसरे मईना कौ सत्रहवों दिना आओ; ओई दिना बेजा गैरे समंदर के सबरे सोता फूट कड़े और आकास के झरोखा खुल गए।
पानूं पृथ्वी पै एक सौ पचास दिना लौ बनो रओ।
पानूं दसवें मईना लौ घटत चलो गओ, और दसवें मईना के पैले दिना हों पहड़वों की टुनईं दिखाई दईं।