कायसे अब सात दिना और बीतबे पै मैं पृथ्वी पै चालीस दिना और चालीस रात लौ पानूं गिरात रैहों; और जितेक प्राणी मैंने रचे आंय उन सब हों धरती के ऊपर सें नास कर दैहों।”
कायसे मैं भी सरकारी अफसर आंव, और मोरे तरें सिपाही आंय, और जब मैं एक से कहत हों, जा, तो बो जात आय; और दूसरां हां कि आ, तो बो आत आय; और जब अपने चाकर से कहत हों, कि जौ कर, तो बो करत आय।