11 जब नूह की उमर के छै सौ साल के दूसरे मईना कौ सत्रहवों दिना आओ; ओई दिना बेजा गैरे समंदर के सबरे सोता फूट कड़े और आकास के झरोखा खुल गए।
तब यहोवा परमेसुर ने एक अन्तर बनाकें ऊके खालें के पानूं और ऊके ऊपर के पानूं हों अलग अलग करो; और बैसई हो गओ।
सुन मैं खुद पृथ्वी पै जल-प्रलय करके सबरे प्राणियों हों, जिनमें जीवन की सांस आय, आकास के तरें सें नास करबे पै आंव; और सबरे जो पृथ्वी पै आंय मर जैहें।
नूह की उमर छै सौ साल की हती, जब जल-प्रलय पृथ्वी पै आओ।
दूसरे मईना के सत्ताईसवें दिना हों पृथ्वी पूरी तरहां सें सूख गई।
और गैरे समंदर के सोता और आकास के झरोखा बन्द हो गए; और ऊसें जो बरसात होत हती बा सोई रुक गई;
कायसे पानी की बाढ़ के पेंला के दिना में, जी दिना लौ नूह जहाज में न चढ़ो, ऊ दिना लौ लोग खात पीयत रए और उन में ब्याव शादी होत हतीं।
जब मान्स कैत रै है, कि मजा मौज आय, और कछु डर नईयां, तो बरबादी को दिना एका एक आ जै है, जैसे एक गरभवती बईयर हां पिराबो होत आय; और बे न बच हैं।
ऐई से ऊ जुग कौ संसार पानू में डूब के नास हो गओ।