राज्य-राज्य के मान्सन तोरे अधीन होएं, और देस-देस के मान्सन तोहों दंडवत करें। तें अपने भईयों कौ मालक होए, और तोरी मताई के मोंड़ा तोहों दंडवत करें। जो तोहों स्राप दें तौ बे खुदईं स्रापित होएं, और जो तोहों आसीरवाद दें बे आसीस पाएं।”
बीस साल लौ मैं तोरे घर में रओ; चौदह साल तौ मैंने तोरी दोई मोंड़ियों के लाने, और छै साल लौ तोरी गाड़र-छिरियों की सेवा करी; और तेंने मोरी मजूरी हों दस बेर बदल डालो।
ई लाने मोरे पिरभु अपने दास के आंगू बढ़ जाए, और मैं इन पसुओं की चाल के अनसार जो मोरे आंगू आंय, और बच्चों की चाल के अनसार हरंय-हरंय निंगकें सेईर में अपने पिरभु के लिगां पोंचहों।”