ई लाने जब अब्राम हों कनान देस में रैत भए दस साल हो चुके तब ऊकी घरवारी सारै ने अपनी मिस्री बंधुआ हाजिरा हों लैकें अपने घरवारे अब्राम हों दओ, कि बा ऊकी घरवारी होए।
हे भईया हरौ, मैंने इन बातन में अपनी और अपुल्लोस की कनौत सी कई, कि तुम हम से जौ सीखो, कि जैसो लिखो आय ऊसे आंगू न बढ़ियो, एक हां बड़ो और दूसरे हां ओछो न जानियो।