नैम व्यवसथा न मानबेवारन के लाने मैं (जौन परमेसुर की नैम व्यवस्था के बिना नईं, परन्त मसीह की नैम व्यवस्था के अधीन आंव) बिना नैम व्यवस्थावारो बनो, कि बिना नैम व्यवस्थावारन हां ऐंच लाओं।
पर जौन मान्स स्वतन्त्रता की सिद्ध नैम व्यवस्था पे ध्यान करत रैत आय, बो अपने काम में ई लाने आसीष पा है कि बो सुन के बिसरत नईं, परन्त वैसई काम सोई करत आय।
जदि तुम पवित्तर पोथी के ई बचन अनसार बैवार करत आव, कि तें अपने पड़ोसी से अपने घांई प्रेम कर, तो सांचई तुम परमेसुर के राज की नैम हां पूरो करत आव, तो साजो करत आव।