जा बात मैंने तुम हां ईसें लिखी, कि ऐसो न होबे, मैं जब आओं तो जिन से मोरो जी ठण्डो होबो चईये, उनई से मोरो जी टूटे; कायसे मैं जौ जानत आंव, कि जौन बात से मोरो जी ठण्डो होत, ओई तुमाओ सब कौ हाल आय।
जौन जनें कछु बड़े समझे जात हते (बे चाए जैसे हते, मोहां ईसे काम नईंयां, परमेसुर कोऊ न्यारी बातें नईं करत) उन से जौन कछु समझे जात हते, मोहां कछु नईं मिलो।
मैं जा बिन्तवारी करत आंव, कि तुमाए संग्गै मोहां निधड़क होकें ऐसो नईं करने आय; जैसे बिलात जनें हम हां अपने मन से चलबोवारो मानत आंय, बल से बात करो चाहत आंव।