18 अकेले जौ सोई अच्छो आय, कि साजी बातन में मित्र बनाओ जाए, ऊ बेरा नईं जब मैं तुमाए संग्गै हों।
तब ऊके चेलन हां खबर आई कि लिखो आय, तोरे मकान कौ घुन मोय खा जै है।
सो हे मोरे प्यारे भईया हरौ, पक्के बने रओ, और पिरभु के काम में बढ़त जाओ, कायसे कि जानत आव, कि तुमाई मैनत पिरभु में अकारथ नईंयां।
अकेले तुमें पता आय, कि पेंला मैंने देह पे कमजोर होकें तुम हां बचन सुनाओ।
बे तुम हां मित्र तो बनाओ चाहत आंय, पर अच्छे मन से नईं; सांची जा आय कि बे तुमहां न्यारो करो चाहत आंय, कि तुमई उन हां मित्र बना लेओ।
मन में तो ऐसो आत आय, अबै तुम लौ आके और जैसो बतकाव करों, कायसे तुमाए काजें मोरे हिये में संका आय।
इत्तो करौ कि तुमाओ जीवन सुसमाचार की बातन जैसो होबै, और चाहे मैं आओं और न आओं मोहां पता चलै, कि तुम एकई मन के बने आव और एक होकें पिरभू की बात दूसरन लौ बताबे में लगे रैत आव।
सो मोरे भईया हरौ, तुम मोरे देखत और मोरे पछाऊं सोई उन की बातन मानत रए, सो ऐसई अपने अपने तरन तारन होबे जैसे काज करत रओ।
उन ने अपने आप अपनो बलदान करो, कि हम हां सबरे पापन से दूर करबें, और हम हां साजो कर के ऐसे बनाबें जौन धरम के काज में लगे होबें।
मैं जिन हां प्रेम करत आंव, उन सब हां चितात और उन हां सजा देत आंव, सो अब चेतो और अपने बुरय कामन हां छोड़ो।