4 का तुम ने इतनो दुख ऐंसई उठाओ? अकेले जौ सब बेकार नईंयां।
ओई से तुमाओ तरन तारन सोई होत आय, जदि ऊ भले सन्देसे को जौन मैंने तुम हां सुनाओ हतो सुमरन करत आव; नईं तो तुमाओ बिसवास करबो अकारथ भओ।
का तुम ऐसे मूरख आव, कि आत्मा से लैके और देह की रीत पै अन्त कर हौ?
तुम चौकन्नें रओ; कायसे जौन काम हमने करो आय, ऊहां न बिलोरियो, जीसे ऊको पूरो मजा तुम हां मिले।