3 का तुम ऐसे मूरख आव, कि आत्मा से लैके और देह की रीत पै अन्त कर हौ?
मैं तुम से जौ जानबो चाहत आंव, कि तुम ने आत्मा हां, नैम में चले से, कि बिसवास से पाओ।
का तुम ने इतनो दुख ऐंसई उठाओ? अकेले जौ सब बेकार नईंयां।
जानो कि पेंला वारो मन्दर हाथन से बनो हतो, ऊ में दियादान, एक मेज, भेंट करबेवारी रोटी हती; बो पवित्तर जांगा कहात हती।