6 जौन जनें कछु बड़े समझे जात हते (बे चाए जैसे हते, मोहां ईसे काम नईंयां, परमेसुर कोऊ न्यारी बातें नईं करत) उन से जौन कछु समझे जात हते, मोहां कछु नईं मिलो।
ई लाने उन ने अपने चेलन हां हेरोदियन के संग्गै ऊके ऐंगर जौ कहबे हां पठैव, कि हे गुरू; हम जानत आंय, कि तें सच्चो आय; और परमेसुर की गैल सच्चाई से सिखात आय; और कोऊ की परवाह नईं करत, कायसे तें मों हेरी बात नईं करत।
और उन ने आके ऊसे कओ; गुरूजी हम जानत आंय, कि तें सच्चो आय, और कोऊ की परवाह नईं करत; कायसे कितें मान्सन के मों देखी बातें नईं करत, बल्कि परमेसुर की गैल सच्चाई से बतात आय।
कायसे इन दिनन से पेंला थियूदास जौ कहत भओ उठो, कि मैं सोई कछु आंव; और कोऊ चार सौ मान्स ऊके संग्गै हो लए, और बो मारो गओ; और जितेक मान्स ऊहां मानत हते, सब तितर बितर भए और मिट गए।
मैं मूरख तो बनो, अकेले तुम ने मोसे जौ जबरई करवाओ: तुम हां तो मोरी बड़वाई करो चईये, कायसे मानो में कछु नईंयां, अकेले उन सब बड़े बड़े प्रेरितन से कोई बात में घट नईंयां।
मोरो जाबो ईसुर के बताए भओ: और जो बचन में अन्य जातियन में परचार करत हों, बो मैंने उन हां बता दओ; पै अकेले में उन हां जौन बड़े कहात हते, कि ऐसो नईं होबे, कि मोरी अबै की, और आंगे की दौड़ बेकार जाबै।
अपने गुरु जनों की मानो बे तुमाए जीवन हां तकें रैत आंय; कायसे बे परमेसुर हां तुमाए लाने लेखो दै हैं, बे जो काज खुसी से करें, बोझो न समझें, कायसे ऐसी सेवा से तुम हां कोई फायदा न हुईये।