18 कायसे जो कछु मैंने गिरा दओ, कहूं ओई हां फिन के उठात आंव, तो अपने आप अपराधी ठहरत हों।
जदि तोरो भईया तोरे खैबे के काजें सोच में पड़त आय, तो फिन तें प्रेम के चलन में नईं चलत: जीके लाने मसीह मरो ऊहां तें अपने खैबे से नास न कर।
जदि तें नैम व्यवस्था के अनसार चले, तो खतने से लाभ तो आय, पर जदि तें नैम व्यवस्था अनसार न चले, तोरो खतना बिन खतना के समान ठैरो।
ई लाने जदि हमाओ अधर्म परमेसुर हां धरमी ठैरा देत आय, तो हम का काबें? का जौ कि परमेसुर जौन खुन्स करत आय अन्यायी आय (जौ तो मैं मान्सन के तौर तरीके से कैत आंव)।
मैं परमेसुर की दया हां बेकार नईं कैत, कायसे धर्मी नैम से होतो, तो मसीह को बलदान बेकार जातो।
अकेले भईया हरौ, जैसे मैं अबै लौ खतना की बात करत आंव, तो काय हां मोहां परेसान करो जात आय; क्रूस से जौन डर हतो बो चलो गओ।