10 बस जा कई, कि हम गरीब गुरवन की सुध लेबें, और ओई काज करबे को मैं अपने हो लगो आंव।
अब बिलात बरसन के पाछें मैं अपनी जात के लाने दान पोंचाबे, और भेंट चढ़ाबे आओ हतो।
भलो करबो, और दया करबो न छोड़ियो, कायसे ऐसे काम से परमेसुर खुस रैत आय।
जी लौ संसार में बिलात जायजाद होबै, और बो अपने भईया हां कंगाल देख के तरस न खाबै, तो ऐसे मान्स में परमेसुर को प्रेम नईं रैत।