18 परन्त शूशन के यहूदी अदार मईना के तेरवें दिना हों, और ओई मईना के चऊदवें दिना हों इकट्ठे भए, और ओई मईना के पन्द्रवें दिना हों उनोंरन ने आराम करकें भोज करो और आनन्द कौ दिन ठैराओ।
इन चिठियों में सब नगरन के यहूदियों हों राजा की कोद सें अनुमति दई गई, कि बे इकट्ठे होबें और अपनो अपनो प्राण बचाबे के लाने तईयार होकें, जौन जात या प्रान्त के मान्सन अन्याय करकें उनहों या उनकी बईयरों और बाल-बच्चों हों दुख दैबो चाहें, उनहों मार डालें और नास करें, और उनकी धन सम्पत्ति लूट लेबें।
अदार नाओं के बारवें मईना के तेरवें दिना हों, जौन दिना राजा कौ हुकम और नियम पूरे होबे हों हते, और यहूदियन के बैरी उनपै हाबी होबे की आसा धरत हते, परन्त ईकौ उलट यहूदी अपने बैरियन सें जीत गए;
एस्तेर ने कई, “जदि राजा हों स्वीकार होबै तो शूशन के यहूदियन हों आज के जैसे कल सोई करबे कौ आदेस दओ जाए, और हामान के दसई मोंड़ों हों फांसी के खम्भों पै लटकाओ जाए।”
ऊ दिना यहूदी जनें राजा क्षयर्ष के सब प्रान्त में अपने अपने नगर में इकट्ठे भए, कि जौन उनको नुकसान करबे कौ जतन करें, उनपै हाथ चलाबें। कौनऊं उनकौ सामना नईं कर सको, कायसे उनकौ भय प्रान्तन के सब मान्सन में समा गओ हतो।