इन चिठियों में सब नगरन के यहूदियों हों राजा की कोद सें अनुमति दई गई, कि बे इकट्ठे होबें और अपनो अपनो प्राण बचाबे के लाने तईयार होकें, जौन जात या प्रान्त के मान्सन अन्याय करकें उनहों या उनकी बईयरों और बाल-बच्चों हों दुख दैबो चाहें, उनहों मार डालें और नास करें, और उनकी धन सम्पत्ति लूट लेबें।
तब राजा ने एस्तेर रानी सें कई, “यहूदियन ने शूशन राजगढ़ ही में पांच सौ मान्सन और हामान के दसई मोंड़ों हों सोई घात करके नास करो आय; फिन राज्य के और प्रान्तन में उनोंरन ने नें जाने का का करो हुईयै! अब ईसें अधक तोरी बिन्तवाई का आय? ऊ सोई पूरो करो जैहै, और तें का मांगत आय? बो सोई तोए दओ जैहै।”
एस्तेर ने कई, “जदि राजा हों स्वीकार होबै तो शूशन के यहूदियन हों आज के जैसे कल सोई करबे कौ आदेस दओ जाए, और हामान के दसई मोंड़ों हों फांसी के खम्भों पै लटकाओ जाए।”
राज्य के और दूसरे प्रान्तन के यहूदी इकट्ठे होकें अपने अपने प्राण बचाबे के लाने ठांड़े भए, और अपने बैरियन में सें पछत्तर हजार मान्सन हों मारकें अपने बैरियन सें आराम पाओ; पर धन हों नईं लूटो।
ऊ दिना यहूदी जनें राजा क्षयर्ष के सब प्रान्त में अपने अपने नगर में इकट्ठे भए, कि जौन उनको नुकसान करबे कौ जतन करें, उनपै हाथ चलाबें। कौनऊं उनकौ सामना नईं कर सको, कायसे उनकौ भय प्रान्तन के सब मान्सन में समा गओ हतो।