इन बातन के पाछें जब राजा क्षयर्ष कौ गुस्सा ठंड़ो पड़ गओ, तब ऊने रानी वशती की, और जौन काम ऊनें करो हतो, और जौन ऊके बारे में हुकम कड़ो हतो ऊकी सोई सुध लई।
ऊकी बईयर जेरेश और ऊके सब दोस्तन ने ऊसें कई, “पचास हाथ ऊंचो फांसी कौ एक खम्बा बनाओ जाए, और भुंसारे राजा सें कईयो कि ऊपै मोर्दकै हों लटका दओ जाए; तब राजा के संगै खुसी सें भोज में जईयो।” ई बात सें खुस होकें हामान ने ऊंसई फांसी कौ एक खम्बा बनवाओ।
राजा भारी खिसिया गओ, और दाखमधु पीबे से उठकें, राजभवन की बगिया में कड़ गओ; और हामान जौ हेरकें कि राजा ने मोरी हानी बिचार लई हुईयै, एस्तेर रानी सें प्रान की भीख मांगबे हों ठैरो रओ।
जब राजा राजभवन की बगिया सें दाखमधु पीबे की जागां में लौट आओ तब का हेरो कि हामान ओई चौकी पै जीपै एस्तेर बैठी आय झुक रओ आय; तब राजा ने कई, “का जौ घरई में मोरे सामूं रानी सें जबरई करबो चाहत आय?” राजा के मों सें जे बचन कडे़ई हते, कि सेवकों ने हामान कौ मों ढांक दओ।
तब राजा क्षयर्ष ने एस्तेर रानी सें और मोर्दकै यहूदी सें कई, “मैं हामान कौ घर जायजाद तौ एस्तेर हों दै चुको आंव, और ऊहों फांसी के खम्भा पै लटका दओ गओ आय, ई लाने कि ऊने यहूदियन पै हाथ बढ़ाओ हतो।
परन्त जब राजा ने जौ जान लओ, तब ऊने हुकम दओ और लिखवाई की जौन दुस्ट जुगत हामान ने यहूदियन के खिलाफ करी हती बा ओई की मूंड़ पै पलट आए, तब ऊ और ऊके मोंड़ा फांसी के खम्भों पै लटकाए गए।