तब हामान ने ऊ उन्ना, और ऊ घुड़वा हों लेकें, मोर्दके हों पैराए, और ऊहों घुड़वा पै चढ़ाकें, नगर के चौगड्डा में ई तरहां पुकारत भओ घुमाओ, “जीकौ मान राजा करबो चाहत आय ऊके संगै एैसई करो जैहै।”
जब राजा राजभवन की बगिया सें दाखमधु पीबे की जागां में लौट आओ तब का हेरो कि हामान ओई चौकी पै जीपै एस्तेर बैठी आय झुक रओ आय; तब राजा ने कई, “का जौ घरई में मोरे सामूं रानी सें जबरई करबो चाहत आय?” राजा के मों सें जे बचन कडे़ई हते, कि सेवकों ने हामान कौ मों ढांक दओ।