और ई संसार के जैसे न बनो; पर तुमाए समज के नए हो जाबे से तुमाओ चाल सोई बदलत जाबे, जी से तुम परमेसुर की साजी और भावती, और सिद्ध अभलाखा अनुभव से मालूम करत रओ।
उन के द्वारा ऊ ने हम हां अनमोल और बिलात बड़ी कौलें दई आंय; कि तुम इन के द्वारा ऊ आचरण से छूट जाओ, जौन संसार में बुरई मनसाओं से होत आय और तब परमेसुर के स्वाभाव के संगी साथी हो जाओ।