कायसे हम पेंला, मूरख और परमेसुर की अग्या न मानबेवाले, और दुबधा में हते, और भांत भांत की चाहना करत हते, और मजा मौज चाहत हते और अदावट धरें हते, और दूसरन को बुरओ सोचत हते, और बहुत घिना हते और दूसरन से बैर मानें हते।
ई लाने जब इतने सबरे जनों की गवाह हम जानत आंय, तो अब सबरी रोकबेवारी बस्तन और उलझाबेवारे पाप और बुरई बातन हां छोड़ के, जैसी दौड़ हम हां दौड़ने आय ऊहां संभल के दौड़ें।
दूसरी जातन की मन्सा के अनसार काम करबे, और लुच्चपन की बुरई अभलाखाओं, मतवालोपन, लीला-क्रीड़ा, पिय्यकड़पन, और घिनौनी मूरती पूजा में तुम ने पैले टैम खो दओ, बो बिलात भओ।
अपने अधरम कौ फल उनईं हां मिल है, उन हां दिन दुपारी सुख विलास करबो साजो लगत आय; बे कलंक और दागी आंय, जब बे तुमाए संग्गै खात पियत आंय, तब अपनी कुदाऊं से प्रेम भोज करके भोग विलास करत आंय।