जब उते हमाए ठहरबे के दिना पूरे भए, तो हम विदा होकें चले; और सब मान्स बईयरन, बच्चन संग्गै हम हां नगर के बायरें लौ पहुंचाबे आए, और समुन्दर तीरे पे घुटना टेक के प्रार्थना करबे के पाछें हम ने एक दूसरे से विदा लई।
तब पतरस ने सबरन हां बायरें कर दओ, और घुटने टेक के बिन्तवाई करी; और लोथ कुदाऊं तक के कओ; हे तबीता उठ: तब ऊ ने अपनी आंखें खोल दईं; और पतरस हां तक के उठ बैठी।