मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रओ हतो, मैंने बेसुध होकें एक दर्शन हेरो, कि एक बड़ी चदरा घांई कोऊ बस्त, चारऊं कोने से लटकत भई, आकास से उतर रई आय, बो ठीक मोरे ऐंगर आ गई।
और साजो काम करबेवारी रई होबै, जीने अपने लरका वारन हां ठीक से पालो होबै; पाहुरन की सेवा खुसामद करी होबै, पपित्तर जनन के गोड़े धोय होबें, और दुखियन की मदद करी होबै, और अच्छे कामन में मन से लगी रई होबै।
जे बातें सांची आंय, और मोरी जा चाहना आय, कि तें इन बातन हां खुल के बताए कि जीने परमेसुर पै बिसवास धरो आय, बे भले कामन में लगे रैबें, कायसे जे बातें बढ़िया और मान्सन के भले की आंय।
हमाए पिता परमेसुर के लेखे में सुद्ध और साफ भक्ति जा आय, कि हम अनाथों और बिधवाओं की दुख पीड़ा में उन की सुध लेबें, और अपने आप हां संसार की बातन से दूर राखें।