मैं याफा नगर में प्रार्थना कर रओ हतो, मैंने बेसुध होकें एक दर्शन हेरो, कि एक बड़ी चदरा घांई कोऊ बस्त, चारऊं कोने से लटकत भई, आकास से उतर रई आय, बो ठीक मोरे ऐंगर आ गई।
बो बायरें कड़ो और ऊके पाछें पाछें चलो गओ; पर ऊ की समझ में जौ नईं आ रओ हतो, कि जो कछु सरगदूत कर रओ आय, बो सांची आय, पर ऊ ने जा सोची, कि मैं कोई दरसन हेर रओ आंव।
परमेसुर कैत आय, कि आखिर के दिनन में ऐसो हुईयै, कि मैं अपनौ आत्मा सबरे मान्सन पै उड़ेल हों और तुमाए मोंड़ा-मोंड़ी अगमबानी करहैं और तुमाए जुआन दरसन हेरहैं, और तुमाए बुजुर्ग सपने देखहैं।