31 ऊ ने कओ, जब लग कोऊ मोय न समजाए मैं कौन भांत समझ सकत आंव? ऊ ने फिलिप्पुस से कओ, रथ में चढ़ के मोरे ऐंगर बैठ।
मैं तुम से सांची कैत आंव, जो कोऊ परमेसुर के राज्य हां बच्चा की नाईं न अपनाए, ऊ ऊ में कभऊं पिड़ न पाहै।
फिलिप्पुस ने रथ कुदाऊं गदबद लगाई ऊ ने ऊहां यशायाह अगमवकता की पोथी बांचत भए सुनो, ऊ ने पूछो तें जौन बांच रओ आय, का ऊहां समजत सोई आय?
पवित्तर धर्म पोथी से जौन अध्याय बो बांच रओ हतो, बो जौ हतो; बो गाड़र की घांई वध होबे हां पोंचाओ गओ, जैसे मेमना अपने ऊ न कतरबेवारन के आंगू चुप चाप रैत आय, ऊं सई ऊ ने सोई अपनो मों न खोलो।
फिन जीपे उन ने बिसवास नईं करो, ऊकौ नाओं कैसे लेबें? और जीके बारे में नईं सुनो ऊ पै बिसवास कैसे करबें।
कोऊ अपने आप हां धोखा न देबे: जदि तुम में से कोऊ ई संसार में अपने आप हां ज्ञानी समझे, तो मूरख बने; कि ज्ञानी हो जाबै।
जदि कोऊ समझे, कि मोहां कछु पता आय, तो जैसो जानो चईये ऊंसो अबै लौ नईं जानत।
और धनवारो अपनी ओछी दसा पे: कायसे बो घांस के फूल की भांत जात रै है।
ई लाने सबरी गन्दगी और सबरी दुष्टता दूर कर के, ऊ बचन हां दीनता से अपना लेओ, जौन हिये में बोओ गओ और जौन तुमाए प्रानन कौ तारन कर सकत आय।