34 मैंने सांची में अपने मान्सन की जौन मिसर में आंय, बुरई दसा हां तको आय; और उन की आह और रोबो सुनो आय; ई लाने उन हां छुड़ाबे हां उतरो आंव। अब आ, मैं तोहां मिसर में पठै हों।
जब मान्सन नगर और गुम्मट बनान लगे, तब उनहों हेरबे के लाने यहोवा परमेसुर उतर आओ।
ई लाने आओ, हम उतरकें उनकी भासा में गड़बड़ी डालें, कि बे एक-दूसरे की बोली हों नें समझ पाएं।”
ई लाने मैं उतरकें तकहों कि जैसी दुहाई मोरे कान लौ पोंची आय, उनोंरन ने ठीक बैसई काम करो आय कि नईं; और नें करो होए तौ मैं ऊहों जान लैहों।”
फिन तेंने मिस्र में हमाए पुरखन के दुख पै नजर करी; और लाल समंदर के किनारे पै उनकी दुहाई सुनी।
और कोऊ सरग पे नईं चढ़ो, केवल ओई जौन सरग से उतरो, यानि मान्स को पूत जौन सरग में आय।
कायसे मैं अपनी मनसा नईं, परन्त अपने पठैबेवाले की मनसा पूरी करबे के लाने सरग से उतरो आंव।