ऊ ने जा ई लाने नईं कई, कि ऊहां कंगालन की चिन्ता हती, परन्त ई लाने कि बो भड़या हतो और ऊके ऐंगर रुपईयन कौ थैला रैत हतो, और जौन कछु ऊ में डालो जात हतो, बो ऊहां निकाल लेत हतो।
कायसे रुपईया कौ लोभ सब परकार की बुराईयन की जड़ आय, जीहां पाबे की कोसिस करत भए कितेक जनें बिसवास की गैल से भटक के अपने आप हां बिलात परकार के दुखों से छलनी कर लओ आय।